संवादसेतु

मीडिया का आत्मावलोकन…

सामाजिक आंदोलन और न्यू मीडिया

क्रांति का वाहक बनता न्यू-मीडिया

समाचार पत्रों और चैनलों में व्यावसायीकरण के प्रभाव के कारण निष्पक्ष विचारों का प्रभाव बहुत कम होता जा रहा है। निष्पक्ष विचार रखने वालों को मीडिया जगत में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में न्यू मीडिया एक वरदान के रूप में उभर कर सामने आया है। सस्ता व सुलभ संचार माध्यम होने के कारण इसने काफी कम समय में प्रसिद्धि पाई है। वहीं न्यू मीडिया ने सामाजिक आंदोलनों में भी सक्रिय भूमिका निभाई है।

अरब देशों में हुई जनक्रांति के पीछे न्यू मीडिया का बड़ा योगदान रहा है। सरकार द्वारा समाचार पत्रों और चैनलों पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद वहां की जनता एक-दूसरे से सोशल साइटों के जरिए जुड़ी और जनक्रांति को एक नई दिशा मिली। भारत में भी पिछले कुछ दिनों में हुए आंदोलनों में न्यू मीडिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

आरूषि तलवार को इंसाफ दिलाने के लिए कैंडल लाइट मार्च से लेकर अन्ना हजारे व बाबा रामदेव के आंदोलनों में जनसमर्थन प्राप्त करने के लिए न्यू मीडिया के माध्यम से लोगों से संपर्क साधा गया। इसके लिए एक ओर फेसबुक जैसी सोशल साइट पर एक पेज बनाकर लोगों को आंदोलन व उसके समय, स्थान की जानकारी दी गई, वहीं मोबाइल फोन पर भी एसएमएस द्वारा लोगों को सूचित किया गया। फेसबुक, ऑरकुट व ट्विटर जैसी सोशल साइट्स पर अब लोग राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर भी जमकर बहस करने लगे हैं जिससे आम जन के बीच जागरूकता आई है।

ब्लॉग व वेब पोर्टल तो अपना विचार निष्पक्ष रूप से रखने वालों के लिए वरदान साबित हुए हैं। न्यू मीडिया जगत में तो वेब पोर्टलों की बाढ़ सी आ गई है। ख्याति पाने के लिए अधिकतर लोग अपना निजी वेब पोर्टल बनाते हैं। पोर्टलों और ब्लॉग पर राष्ट्रीय मुद्दों पर परिचर्चा होने लगी है। इसका फायदा यह है कि इसमें सभी लोगों को अपने विचार व्यक्त करने का स्थान मिल जाता है जिसके परिणामस्वरूप वह उस मुद्दे में विशेष रूचि लेने लगते हैं।

यू-ट्यूब पर तो किसी भी मुद्दे से संबंधित वीडियो देखे जा सकते है जिसके कारण इसकी लोकप्रियता तीव्र गति से बढ़ी है। न्यू मीडिया से राजनीतिक हल्कों की नींद भी उड़ गई है। गूगल द्वारा जारी की गई ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार की ओर से गूगल को कई बार प्रधानमंत्री, कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों और अधिकारियों की आलोचना करने वाली रिपोर्ट्स, ब्लॉग और यू-ट्यूब वीडियो हटा देने को कहा गया।

जुलाई 2010 से लेकर दिसंबर 2010 के बीच गूगल के पास इस तरह के 67 आवेदन आए जिनमें से 6 अदालतों की ओर से, बाकी सरकार की ओर से आए। यह आवेदन 282 रिपोर्ट्स को हटाने के थे जिनमें से 199 यू-ट्यूब के वीडियो, 50 सर्च के परिणामों, 30 ब्लॉगर्स की सामग्री हटाने के थे। हालांकि गूगल ने इन्हें नहीं हटाया और केवल 22 प्रतिशत में बदलाव किया।

न्यू मीडिया ने समाज में अलग पहचान बनाई है और इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि इससे युवा पीढ़ी ज्यादा जुड़ रही है। भविष्य में मीडिया के इस नए माध्यम की संभावनाएं और अधिक बढे़गी।

नेहा जैन, जुलाई अंक, २०११

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